ब्रह्मचर्य शब्द बड़ा प्यारा है , बड़ा अद्भुत है । इस शब्द मेँ बड़ा राज है , बड़ा रहस्य है ।
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ब्रह्मचर्य मूलत: संस्कृत भाषा का शब्द है और व्याकरण के अनुसार जब उसका विश्लेषण करते हैँ , तब दो शब्द हमारे सामने आते हैँ - ' ब्रह्म ' और ' चर्य ' । इन दो शब्दोँ से मिलकर एक ' ब्रह्मचर्य ' शब्द बना है ।
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पाइथेगोरस कहता है -
No man is free , who cannot command himself.
जो व्यक्ति अपने आप पर नियत्रण नहीँ कर सकता , वह कभी भी स्वतंत्र (ब्रह्मचारी) नहीँ हो सकता ।
अत: हम कह सकते हैँ कि वासना को ।
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