ब्रह्मचर्य एक ऐसा धर्म , जिसकी पवित्रता ,पावनता और स्वाच्छता से कोई इनकार नहीँ कर सकता । विश्व के समस्त धर्मोँ मेँ
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ब्रह्मचर्य , निम्नलिखित अष्ट मैथुनोँ से विरत होने का नाम भी है , यथा
स्मरणं कीर्तनं केलि
प्रेक्षणं गुह्मभाषणम्।
संकल्योअ्ध्यवसायश्च
प्रवदन्ति मनीषिण : ॥
एतन्मैथुनमष्टांग
प्रवदन्ति मनीषिण: ।
विपरीत ब्रह्मचर्य एतत्
एवाष्ट लक्षणम् ॥
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