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Polly po-cket
× सावधानी! इस ब्लॉग पर बहुत भद्दा प्रचार किया जा रहा है इसलिए हमलोग नया वेबसाइट बना लिया हूँ जो 5 सेकण्ड्स में खुलेगा आयुर्वेद, योग, प्राणायाम को अपनाए और स्वस्थ रहें अध्यात्म की राह पर चलने की जरूर प्रयास करें।

अध्यात्म क्या है ?
अध्यात्म क्या है ?
अध्यात्म का अर्थ होता है :

आत्म का अध्ययन या चिँतन-मनन करना । अर्थात्‌ अपने आप को अध्ययन या चिँतन करना अध्यात्म होता है ।

अब प्रश्न है कि क्या चिँतन-मनन करेँ ?

पहले आप आहार को ही लेँ कि माँसाहार या शाकाहार आहार मेँ बेहतर होगा ।

माँसाहार मेँ जो लोग भोजन करते यह ध्यान देँ कि कोई हत्या तो नहीँ न हो रहा है ।

क्योँकि जब आप मनुष्य की हत्या करते तो आपको भी कानुन द्वारा फाँसी दिया जाता

पर जब कोई अन्य प्राणी जैसे कुत्ता , गाय , बकरी , मुर्गा , मछली को हत्या करते तो आप अपने द्वारा दण्ड मिलता है ।

अब प्रश्न है कि अपने आप द्वारा दण्ड कैसे प्राप्त होता ?

अपने आप द्वारा दण्ड प्राप्त तब होता जब आप असमय मृत्यु , अकाल आना या फिर मृत्यु के बाद से लेकर अंत तक बदला देना ।
फिर धर्मशास्त्रोँ मेँ लिखा हैँ कि जो प्राणी है , सजीव है , जिसमेँ साँस चलती है , उसे मानव को मारने का अधिकार प्राप्त नहीँ हैँ इसके बदला आपको देना होगा यदि आप किसी जीव को या प्राणी प्राण या सताया या फिर हत्या जानकर( धर्मग्रंथ पढ़कर) किया है ।

शाकाहार क्या है ?

अब लोग कहते होगेँ कि हरी पेड़-पौधे मेँ भी जान होगेँ ? जब हमको अनुभव ही पता चलता नहीँ तो फिर भी निर्जीव नहीँ जो प्राणी संसार मेँ निवास करते उसे सेवन हेतु प्रकार-प्रकार के मानव द्वारा उपजाया जाता उसे हम सेवन कर सकते । जो हमको द्वारा बनाया गया उसे कुछ भी कर सकते ।

जो हम नहीँ बनाये उसे क्षति नहीँ पहुँचा सकते ।

आत्मा क्या है ?

आत्मा प्रकाश स्वरूप है जो सभी जीव मेँ पाया जाता ।

जीव क्या है ?

जो प्राणी है , सजीव है को जीव कहते ।

मन क्या है ?

मन काल है । मन गलत बात कराता अर्थात्‌ आज्ञा देता और हम करते और फल प्राप्त करते ।
हम आत्माज्ञान नहीँ प्राप्त हैँ इसलिए हम दु:खी है । आत्मज्ञान के अभाव के कारण माँसाहार , जलन , भक्ति के अभाव , भगवान्‌ के बारे मेँ गलत जानकारी , आदि ।

दु:ख का निवारण कैसे होगा ?

सत्य धर्म को अपना कर कोई मनुष्य चाहे गरीब , अमीर , पागल , व्येश्या , स्त्री , पुरूष या किशोर-किशोरी

सत्य धर्म क्या है ?

आप माँसाहार छोड़कर गुरु दिक्षा लिजिए और उस नियम का पालन करेँ।

सेक्स और इससे संबंधित रोग क्या है ?

जब लड़का या लड़की का उम्र 13 से 17 के बीच मेँ रहता तो एक रस उत्पन्न होता लड़का मेँ वीर्य और लड़की मेँ रज जो इनको संग्रहित करना होता है ।
यदि इन रस को उपयोग प्यार , आकर्षक के रूप मेँ होता तो धीरे-धीरे लड़का लड़की को तथा लड़की लड़का को रस रूपी मन चाहता और मन आसक्त हो जाता । फिर सादी के बाद जीवन बर्बाद । माता-पिता का जीवन चिँचित । ज्यादा जानने हेतु जायेँ
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हमेँ क्या करना चाहिये ?

हमेशा भक्ति मेँ रहेँ । अच्छे आदत रखेँ । किसी का अवगुण न देखकर अपने को अवगुण देखे । हमेँ किसी को दान के रूप मेँ पैसे नहीँ देना चाहिये इसके स्वरूप मेँ खाना देना उत्तम है
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