Ring ring
× सावधानी! इस ब्लॉग पर बहुत भद्दा प्रचार किया जा रहा है इसलिए हमलोग नया वेबसाइट बना लिया हूँ जो 5 सेकण्ड्स में खुलेगा आयुर्वेद, योग, प्राणायाम को अपनाए और स्वस्थ रहें अध्यात्म की राह पर चलने की जरूर प्रयास करें।

प्रत्याहार




प्रत्याहार बाहरी स्थूल इंद्रियोँ को विषयोँ ( यहाँ विषय का अर्थ विष के रूप मेँ यौन , क्रोध , लोभ , ममता , तृष्णा , अहंकार , ईर्ष्या आदि को कहा गया ) से विमुख होकर मन को एक चित्त पर स्थिर करना प्रत्याहार है । अर्थात्‌ जहाँ आप कोई कार्य कर रहे है वहाँ आपको की अलावा कुछ सुनाई तथा ध्यान नही हो । या आपको विषय से कोई संपर्क नही हो । हमारे शरीर मेँ मानसिक क्रिया इस प्रकार होती है :
स्थूल विषयोँ के ज्ञान को लेकर ये स्थूल इंद्रियां कपालगत सूक्ष्म इंद्रियोँ को और सूक्ष्म इंद्रियां मन को देती है , मन बुद्धि को समर्पित करता है । बुद्धि निर्णय करके चित्त को संस्कारोँ के रूप मेँ भेजती । चित्त तक इंद्रियां की पहुँच नही होती । नीँद के समय भी केवल सूक्ष्म इंद्रियोँ के साथ ही मन बुद्धि का व्यापार होता है ।

twitter
fb
gplus
Online : 1 | Today Visitors : 1 | Total Visitors :146
यंत्र विवरण :
आई॰ पी॰ पता : 54.80.11.160
ब्राउज़र छवि : Unknown
ऑपरेटिँग सिस्टम विवरण : claudebot
आपका देश : United States
समय तथा तिथि : 2024-03-29 15:37:27
फिडबैक उपयोग की शर्तेँ
© 2018 spiritual