80s toys - Atari. I still have
× सावधानी! इस ब्लॉग पर बहुत भद्दा प्रचार किया जा रहा है इसलिए हमलोग नया वेबसाइट बना लिया हूँ जो 5 सेकण्ड्स में खुलेगा आयुर्वेद, योग, प्राणायाम को अपनाए और स्वस्थ रहें अध्यात्म की राह पर चलने की जरूर प्रयास करें।

विचार बिँदु
* हमारे मन के विचार कर्म के प्रदर्शक होते हैँ । *
मनुष्य मेँ जो कुछ भी सर्वश्रेष्ठ है , उसका विकास प्रशंसा और प्रोत्साहन द्वारा ही किया जा सकता है ।


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इन्द्रिय निग्रह मेँ बल है , सद्‌विचारोँ मेँ विजय और शांति है ।

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बंधु मित्र चाहिए तो ईश्वर पर्याप्त है , मान प्रतिष्ठा चाहिए तो दुनियाँ पर्याप्त है ।

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किसी के मूल्यांकरन के लिए उसकी वाणी का एक अंश या लेखन के चन्द शब्द अथवा आचरण की एक झलक ही पर्याप्त है ।

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मित्रता एक ग्रंथ की तरह है जिसे नष्ट करने मेँ कुछ समय लगते परंतु बनाने मेँ कई वर्ष लगते हैँ ।

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अपने को बचाने के लिए अहंकार अपनी भूलो का दोष दूसरोँ पर डालता है ।

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आपके स्वभाव के अलावा और कोई आपको दु:ख नहीँ देता ।

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पक्षपात सब प्रकार के अनर्थोँ का मूल है ।

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गति या कर्मशील होना ही जीवन का लक्ष्य है ।

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मदान्ध व्यक्ति अपनी सारी शक्ति खो बैठता है ।

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जिसने अपनापन खोया उसने सब कुछ खो दिया ।

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शुद्ध प्रेम का कोई स्वार्थ नहीँ होता ।

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कर्म ही वह पथ है जो हमेँ अंधकार से निकाल कर प्रकार की ओर ले जाता है ।

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वह पथ है जो हमेँ अंधकार से निकाल कर प्रकार की ओर ले जाने वाले गुण गुरु के पास होता है ।

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