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× सावधानी! इस ब्लॉग पर बहुत भद्दा प्रचार किया जा रहा है इसलिए हमलोग नया वेबसाइट बना लिया हूँ जो 5 सेकण्ड्स में खुलेगा आयुर्वेद, योग, प्राणायाम को अपनाए और स्वस्थ रहें अध्यात्म की राह पर चलने की जरूर प्रयास करें।

नासिका संयम



यह गंध के अधीन रहती है , अर्थात्‌ इसे दुर्गँध तनिक भी नहीँ सुहाती और सुगंध पाने के लिए सदैव लालायित रहती है । बुद्धिमान चतुर संत को चाहिए कि वह ज्ञान विचार से इसको समान संयम ( वश ) मेँ रखेँ अर्थात्‌ सुगंध और अपयश दोनोँ को सहे ।

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