ब्रह्मा को शाप :
तेरी पुजा जग (संसार) मेँ नहीँ होगा । आगे तेरे वंशज होँगे वे बहुत पाखंड करेँगे । झुठी बात बनाकर जग को ठगेँगे । ऊपर से तो कर्म काण्ड करेगेँ परंतु अंदर अंहकार , विकार , माँसाहार , आदि अपने बड़ा मानेगेँ । कथा सुनाया करेँगे परंतु स्वयं को वास्तविक ज्ञान नहीँ होगा । देवी देवता का पुजा करवाकर कष्ट पर कष्ट उठवायेगे ।
गायत्री को शाप :
तेरे कई सांड पति होँगे । तुम मृत्युलोक मेँ गाय बनेगी ।
पुहपवति को शाप :
तेरी जगह गंदगी मेँ होगी । तेरे फूलोँ को कोई पूजा मेँ नहीँ लाएगा । इस झुठ गवाही के कारण तुझे यह नरक भोगना होगा । तेरा नाम केवड़ा केतकी होगा । यह गंदगी ( कुरड़ियोँ ) वाली जगह पर होती है ।
इस प्रकार तीनोँ को शाप देकर माता बहुत पछताई ।
जब आदि देवी ने ब्रह्मा , गायत्री तथा पुहपवति को शाप दिया तो काल ब्रह्म को अनुचित लगा ।
उसने आदि माता को शाप दिया कि तेरे भी द्वापर युग मेँ पाँच पति होँगे । द्वोपदी ( पंचाली पंचाल नरेश की पुत्री जो यज्ञ के द्वारा उत्पन्न हुई ) ही आदिमाता का अवतार थी ।
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