जननेँद्रिय , अर्थात् लिँग इंद्री कर्मेँद्रिय है और जिसका कर्म है मूत्र-वीर्य का त्याग तथा मैथुन । यह मैथुन-विषय भोग के पाप-कर्म मेँ प्रवृत करने की महान् अपराधी है । इसके द्वारा जो कामोत्पत्ति होती है , उस दुष्ट प्रबल कामदेव को कोई बिरला साधु ही साध ( जीत ) पाता है ।
काम-वासना मेँ प्रवृत्त करनेवाली कामिनी-स्त्री का मोहिनी रूप भयंकर काल की खान है , अर्थात् वह काम-विषय भोग से काल रूपी विभिन्न दुःख एवं रोगोँ की उत्पत्ति का स्थान है , जिससे ग्रसित हुआ जीव यूं ही मर जाता है , अपना कल्याण साधन नहीँ कर पाता । अतः कामिनी स्त्री का संग त्यागकर गुरु के ज्ञानापदेश का यथावत् आचरण करके गुरु-ज्ञान से समृद्ध होओ ।
1. अगर काम प्रबल को बुझाना चाहते हो तो बुझेगा परंतु काम को अपने कामोत्तेजना के शीर्ष पर नहीँ होना चाहिए अर्थात वीर्य पतन होने मेँ 15 सेकेन्ड से 1 मिनट का समय यदि वीर्यवान हो , 1 मिनट से 1.10 मिनट यदि वीर्य पतला हो
एक बात ध्यान देने योग्य कि अगर वीर्य पतला हो तो आपका कामत्तेजना रोकते रोकते पतला वीर्य जो पानी जैसा होता है निकल जाएगा । इसलिए आप ब्रह्मचर्य का पालन के साथ-साथ सुबह एक बताशे मेँ 10 बुँदे बरगद के दुध डालकर खाये । और कभी दुबारा गलत रास्ता पर न चलेँ ।
अब आये कि काम को प्रबता को रोकने के लिए 2 उपाय है पहला आप अपने ईश्वर को ध्यान आँख बंद कर करेँ और दुसरा कि ध्यान के साथ-साथ ठंडा पानी अपने लिंग तथा लिँग के आस-पास 1-2 मिनट तक गिराते रहेँ । आपका काम उत्तेजना शांत हो जाएगा । यहाँ ध्यान देँ कि दोनो उपाय एक दुसरे से संबंध है इसलिए दोनो उपाय आपको करना होगा ।
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