हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप,जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं,एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियोंमें रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन (सिस्टोल) हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता (डायस्टोल) हो रही है। आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक (उच्चतम-रीडिंग) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक (निचली-रीडिंग) की सीमा के भीतर होता है। उच्च रक्तचाप तब उपस्थित होता है यदि यह 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है।
उच्य रक्तचाप के कारणो पर नियंत्रण कर लेँगे तो आपको स्थायी रूप से रक्तचाप के साथ साथ ह्रदय रोग के आशंका नहीँ होगी ।
चिकना पद्रार्थो का सेवन ।
चिँता
श्रम न करना
खाने के बाद तुरंत आराम करना या सेक्स करना
आदि ये कारणोँ छोड़कर आप इस रोग से मुक्त हो सकते ।
बिना तेल का शब्जी खायेँ।
हरी शब्जी ज्यादा खाये ।
आलु . चावला आदि गर्म चीज न लेँ ।
अपान वायु मुद्रा करेँ ।
चिँता न करेँ
खाने 1 पहले और खाने के 2 घंटा बाद जल पियेँ । खाने दौरान हल्का पिये या न पिये । भोजन के एक बार को 84 बार चबाये
सर्दी के दिन मेँ लहसुन के दो कलियाँ सुवह शाम दुध या सबुत कर खायेँ ।
गर्मी मेँ तीसी को चुनकर हल्के भुनकर पिसकर इसे जीभपर रखकर लेँ दात मेँ न जाना चाहिए ।
यदि ये उपाय करेँगे तो आपका दवा छुटकर रोग दुर हो जायेगा ।
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