ध्यान का अर्थ एक बिंद पर अपना मस्तिष्क केन्दित करना है । अतिरिक्त बिँदुयोँ पर नहीँ
कभी-कभी ऐसा होता कि घर से बाहर जाते समय लोग ताला लगाते हैँ , परंतु उनका ध्यान किसी अतिरिक्त बिँदु पर होने के कारण वे संका मेँ पड़ जाते कि ताला ठीक से लगा था कि नहीँ । वे वापस आकर ताला को देखते हैँ ।
आपके जीवन मेँ प्राय: होती रहती है इसका निवारण है योग है । योग मेँ मन को शांत होना अति आवश्क है अगर मन शांत रहेगा तो किसी बात या घटना का ध्यान रहेगा ।
योग के लिए शाकाहारी भोजन भी जरूरी है ।
संसार के भिन्न समुदायोँ मेँ ध्यान करने की अलग - अलग विधियाँ प्रचलित हैँ , भाव एक है ।
सनातन धर्म (वर्तमान मेँ वचनवंशीय कबीर पंथ समुदाय ही एक ऐसा धर्म है जो पूर्ण सनातन है )
के लोग संगीत के माध्यम से मन को विचारशुन्य कर केवल प्रभु के प्रतिबिंब को ध्यान लगाने का प्रयत्न करते हैँ । यह मार्ग सब से सरल है ।
"ध्यान योग" मानसिक शांति के लिए किया जाता है । ध्यान सिर्फ अपने गुरू के प्रतिबिँब पर लगाये ।
प्रारंभ मेँ जब तक आप अपनी संकल्प शक्ति के प्रति पूर्णतया आश्वस्त नहीँ होँ , तब तक चक्रोँ पर ( आज्ञा चक्र को छोड़कर ) ध्यान नहीँ लगाएँ तथा बिना उचित मार्गदर्शन के "कुंढलिनी" जागृत करने का प्रयत्न नही करेँ ।
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