धारणा योग का छठा अंग जो आंतरिक क्रिया है ।
स्वयं को स्वयं मेँ स्थिर करने की साधना को धारणा कहते है । स्थूल , सूक्ष्म , किसी विषय , सत्नाम , भृकुटि आदि मेँ अपना चित्त लगाना धारणा है । प्राणायाम से प्राण वायु ओर प्रत्याहार से इंद्रियोँ के वश मेँ होने से चित्त मेँ दुविधा नहीँ रहती , जिससे शांत चित्त किसी एक लक्ष्य पर सफलता पूर्वक लगाया जा सकता है ।
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