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श्राद्व निकालने ( पितर पूजने ) वाले पितर बनेँगे , मुक्ति नहीँ



कहा गया कि देवताओँ को पूजनेवाले देवताओँ को प्राप्त होते हैँ , पितरोँ को पूजने वाले पितरोँ को प्राप्त होते हैँ , भुत पुजने ( पिण्ड दान करने ) वाले भुतोँ को प्राप्त होते हैँ अर्थात् भूत प्रेत बन जाते हैँ , गीता व वेदोँ के अनुसार ये पुजा करने वाले मुझको ही अर्थात् काल द्वारा बना स्वर्ग व महास्वर्ग आदि मेँ कुछ ज्यादा समय मौज कर लेते हैँ ।

जैसे : कोई तहसीलदार की नौकरी ( सेवा-पूजा ) करता तो वह तहसीलदार नहीँ बन सकता हाँ उससे प्राप्त धन से शरीर चल सकता । इसी प्रकार कोई पितर पुजेगा तो पितर के पास छोटा पितर बनकर कष्ट उठाएगा ।

प्रमाण :

इसका प्रमाण गीता तथा वेदोँ मेँ हैँ । इसका प्रमाण मार्कण्डे पुरान मेँ एक साधक वेदोनुसार साधन कर रहा था 40 वर्ष मेँ देखा कि मेरे पूर्वज पितर बनकर कष्ट भोग रहे थे ।

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