आसन मुख्य रूप से रोगोँ से मुक्ति के लिए तथा मन को नियंत्रित के लिए योग मेँ इसका स्थान प्रमुख है ।
आसन ऐसा व्यायाम है जो शरीर के आंतरिक भाग मेँ प्रभाव डाल सकता है ।
इसे प्रतिदिन करने से ही स्वास्थ लाभ मिल सकता है ।
"स्थिरम् सुखमासनम्" (योगशुत्र) का अर्थ शरीर स्थिर रहे एवं मन को शांति की प्राप्ति होना आसन है ।
आसन करने के लिए अपने सामार्थ शक्ति लगायेँ अर्थात् सहज गति से व्यायाम करेँ ।
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