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× सावधानी! इस ब्लॉग पर बहुत भद्दा प्रचार किया जा रहा है इसलिए हमलोग नया वेबसाइट बना लिया हूँ जो 5 सेकण्ड्स में खुलेगा आयुर्वेद, योग, प्राणायाम को अपनाए और स्वस्थ रहें अध्यात्म की राह पर चलने की जरूर प्रयास करें।

* आत्मा क्या हैँ ? कहाँ रहता ? तथा कैसा है ? मन क्या है ? (0/0)
आत्मा यानी परमात्मा के एक अंश है जिसके बिना दुनियाँ के कोई सजीव का पतन हो जाता या कोई काम के नहीँ रहता । अब आप सोचेँगे आत्मा सिर्फ मनुष्य मेँ रहता नहीँ येँ दुनियाँ के सभी प्राणी मेँ रहते । आत्मा के बिना दुनियाँ मेँ कोई प्राणी नहीँ रह सकते । आत्मा का स्थान शरीर मेँ होता तथा इसका रूप प्रकाश स्वरुप है । इसमेँ अपार शक्ति होती । अब आप पुछेगेँ कि तो शरीर रोग ग्रस्त क्योँ होता जब अपार शक्ति होती ? जब हम सत्य , अहिँसा ,दया , परम विचार तथा ईश्वर पर आस्था रखते तो शक्ति का प्रयोग होता नहीँ तो शक्ति गुप्त रहता । शरीर मेँ दो वस्तु होते : - (1) आत्मा (2) मन मन कौन है ? मन कालदेव या निरंजन है जो हमेशा गलता काम कराता है । कामुकता , क्रोध , लोभ , ममता , अहंकार(मैँ या काल ) , तृष्णा ( तीव्र इच्छा ) , जलना , हत्या , माँसाहार आदि मेँ मन फँसा रहता । काल के पुत्र ब्रह्मा , विष्णु तथा महेश है । दुनियाँ मेँ जो भी पुजा या नये नये पंथ चल रहे सब का मालिक काल है । काल को पुजनेवाले काल को प्राप्त होगेँ । जब मन यानी काल के अवगुण छोड़ देगेँ तथा सत्य को अपनायेगेँ तो आत्मा आपको निर्देश देगा । तथा जब तक काल के अवगुण लेकर चलेगे तो कोई निर्देश नहीँ देगा । इसका परीक्षा कर लेना
* जीवन क्या है ? (0/0)
जीवन क्या है ? जीवन एक संघर्ष है जिसमेँ हँसना -रोना , सुख-दुख , लाभ-हानी तथा मन-आत्मा होता रहता । जीवन परिवर्तनशील होता है ।

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