Teya Salat
× सावधानी! इस ब्लॉग पर बहुत भद्दा प्रचार किया जा रहा है इसलिए हमलोग नया वेबसाइट बना लिया हूँ जो 5 सेकण्ड्स में खुलेगा आयुर्वेद, योग, प्राणायाम को अपनाए और स्वस्थ रहें अध्यात्म की राह पर चलने की जरूर प्रयास करें।

* सर्वभक्षी या माँसहारी के परिणाम ? (0/0)
(1) मांस खाना कितना बड़ा पाप है ? एक समय एक संत अपने शिष्य के साथ कही जा रहे थे । वहाँ मछुयारा तालाब से मच्छलियोँ पकड़ रहा था । मच्छलिया जल से निकलकर प्राण त्याग रही थी । शिष्य ने पुछा हे गुरुदेव ! इस मछुयारा को क्या दण्ड मिलेगा ? गुरुजी ने कहा बेटा ! समय आने पर बताऊँगा । 20 वर्ष बाद दोनोँ गुरु शिष्य कहीँ जाने के लिए जंगल से गुजल रहे थे । वहां पर एक हाथी का बच्चा चिल्ला रहा था । उसके शरीर मेँ जख्म था जिसमेँ बहुत कीड़े उन्हेँ काट रहे थे । शिष्य ने पूछा कि हे गुरुदेव ! ये प्राणी कौन से पाप का दण्ड भोग रहा है । गुरु ने कहा यह वही मछुयारा है जो गत वर्ष मच्छलियाँ को कष्ट दे रहा था । (2) जीव जिसमेँ जीने की क्षमता , सजीव तथा मानव की तरह क्रियाकलाप या भिन्न कार्य करता जो मानव से परे है जिसकी संख्या संसार मेँ 8400000 है को किसी प्रकार का कष्ट देना या उसको मारकर मुर्दा खाना घोर पाप है जो विश्व के प्रसिद्ध शास्त्रोँ मेँ वर्णित है ।
* शाकाहार तथा मांसाहार के वैज्ञानिक तर्क-वितर्क ? (0/0)
यह विवाद प्राय: लोगोँ मेँ देखने को मिलता है । बहुधा जो जन्म से शाकाहारी होते हैं , वे मांसाहार की आलोचना करते हैँ व जो मांसाहारी होते है वे शाकाहारीयोँ को हेय दृष्टि से देखते हैँ । प्राय: यह विवाद भावनाओँ के आधार पर होता है न कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण अथवा तर्क के आधार पर । आइये , इस विषय पर तर्कपूर्ण शैली मेँ विचार करेँ और निर्णय करेँ कि क्या उत्तम है : शाकाहार या मांसाहार ? ¤ जहरीले तत्व किसमेँ हैँ : शाकाहार या मांसाहार मेँ ? विश्वभर के डाक्टरोँ ने यह साबित कर दिया कि शाकाहारी भोजन उत्तम स्वास्थ के लिए सर्वश्रेष्ठ है । फल-फूल , सब्जी , विभिन्न प्रकार की दालेँ , बीज एवं दूध से बने पदार्थोँ से बना हूआ संतुलित आहार भोजन मेँ कोई भी जहरीले तत्व पैदा नहीँ करता । इसका प्रमुख कारण यह है कि जब कोई जानवर मारा जाता है , तो वह मृत पदार्थ बनता है । यह बात सब्जी के साथ लागु नही होती । यदि किसी सब्जी को आधा काट दिया जाय और जमीन मेँ गाड़ दिया जाय तो वह पुन: सब्जी के पेड़ के रुप मेँ हो जाएगी क्योँकि वह एक जीवित पदार्थ है । लेकिन यह बात एक भेड़ , मेमने , मुर्गे के लिए नही कही जा सकती । ¤ कैँसर , उच्च रक्तचाप , दिल या गुर्दे की बीमारी किस को जल्दी आक्रांत करती है : शाकाहारी या मांसाहारी को ? विशिष्ट खोजोँ के द्वारा यह पता चला है कि जब किसी जानवर को मारा जाता है तब वह इतना भयभीत हो जाता है कि भय से उत्पन्न जहरीरे तत्व उसके सारे शरीर मेँ फैल जाते हैँ । और वे जहरीरे तत्व मांस के रूप मेँ उन व्यक्तियोँ के शरीर मेँ पहुँचते हैँ , जो उन्हेँ खाते हैँ । हमारा शरीर उन जहरीरे तत्वोँ को पूर्णतया निकालने मेँ सामर्थ्यवान नहीँ है । नतीजा यह होता है कि कैँसर , उच्च रक्तचाप , दिल व गुर्दे आदि बिमारी मांसाहारी को जल्दी आक्रांत करती है । इसलिए यह नितान्त आवश्यक है कि स्वास्थ की दृष्टि से हम पूर्णतया शाकाहारी ही रहेँ । ¤ किसमेँ अधिक प्रोटीन है : अंडे , पनीर , मूंगफली या दूध मेँ ? अक्सर यह दलील दी जाती है कि अंडे व मांस मेँ प्रोटीन ,जो शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व है , अधिक मात्रा मेँ पाया जाता है । किन्तु यह बात कितनी गलत है यह इससे साबित होगा कि सरकारी स्वास्थ बुलेटिन संख्या 23 के अनुसार ही 100 ग्राम अंड़ोँ मेँ जहाँ 13 ग्राम प्रोटीन होगा , वही पनीर मेँ 24 ग्राम , मुंगफली मेँ 31 ग्राम , सोयाबीन मेँ 53 एवं दुध से बने पदार्थोँ मेँ तो इससे भी अधीक होता है । ¤ किसमेँ अधीक कैलोरी है : मछली , मुर्गे या दाल मेँ ? जहाँ 100 अंडोँ मेँ 173 कैलोरी , मछली मेँ 93 व मुर्गे के गोश्त मेँ 194 कैलोरी प्राप्त होती है , वहीं गेहुँ व दाल मेँ 300 कैलोरी , सोयाबीन मे 350 कैलोरी व मुंगफली मेँ 550 कैलोरी और मक्खन निकले दुध एवं पनीर से लगभग 350 कैलोरी प्राप्त होती है । फिर अंड़ोँ के बजाय दाल आदि शाकाहारी सस्ता भी है । तो हम निर्णय ले सकते हैँ कि स्वास्थ के लिए क्या चीज जरुरी है । ¤ कोलेस्ट्रोल किसमेँ अधिक है : मुर्गेँ , अन्न या फलोँ मेँ ? अधिक कोलेस्ट्रोल शरीर के लिए लाभदायक नही हैँ । 100 ग्राम अंड़ोँ मेँ कोलेस्ट्रोल की मात्रा 500 मि.ग्रा. है और मुर्गी के गोश्त मेँ 60 है तो वही कोलेस्ट्रोल सभी प्रकार के अन्न , फलोँ , सब्जियोँ आदि मेँ शुन्य है । अमेरिका के विश्वविख्यात पोषण-विशेषज्ञ डॉ. माइकेल क्लपर का कहना है कि अंडे का पीला भाग विश्व मेँ कोलेस्ट्रोल एवं जमी चिकनाई का सबसे बड़ा स्त्रोत है जो स्वास्थ के लिए घातक है । ¤ आजकल टी.वी. पर आ रहा है कि अंडे शाकाहार हैँ । क्या यह सही है ? 1962 मेँ यूनीसेफ ने एक पुस्तक प्रकाशित की तथा अंडोँ को लोकप्रिय बनाने के लिए अनिषेचन (इन्फरटाईल) अंडोँ को शाकाहारी अंडे (वेजीटेरिन) जैसा मिथ्या नाम देकर भारत के शाकाहारी समाज मेँ भ्रम फैला दिया । 1971 मेँ मिशिगन यूनीवर्सिटी अमेरिका के वैज्ञानिक डॉ. फिलिप जे. स्केन्ट ने यह सिद्ध कर दिया कि संसार मेँ कोई भी अंडा निर्जीव नहीँ है , फिर चाहे वह निषेचित(सेया गया) हो अनिषेचित । यह इस बात से भी साबित होता कि कोई भी अंडा पेड़ से पैदा नहीँ किया जा सकता । अनिषेचित अंडे मेँ भी जीव होता है , उसमेँ श्वास लेने की क्रिया होती जो जीवन की निशानी है । यदि ऐसे अंडा मेँ श्वासोच्छ्वास की क्रिया बंद हो जाए तो अंडा सड़ जाता है । अंडे को शाकाहार अंडा गिनना बहुत बड़ा धोखा है और अपने व्यापारिक स्वार्थ के लिए फैलाई गई भ्राँति है । इंगलैंड के मशहुर चिकित्सक डॉ. राबर्ट ग्रास तथा प्रो. ओकासा डेविडसन इरविँग के अनुसार अंडे खाने से पेचिश तथा मंदाग्नि जैसी बिमारियाँ घर कर जाती हैँ और आंते सड़ जाती हैँ । जर्मनी के फ्रोफेसर एग्तर वर्ग का निष्कर्ष है कि अंडा 51.83% कफ पैदा करता है जो शरीर के पोषण तत्वोँ को असंतुलित करता है । अमेरिका के कृषि विभाग की हैल्थ बुलेटिन के अनुसार अंडोँ मेँ 30% DDT होता हो । पोल्ट्रीज को जिस तरह रखा जाता है , उस प्रक्रिया मेँ से होकर DDT मुर्गी की आंतोँ मेँ घुल मिल जाता है । प्रत्येक अंडे के ऊपरी खोल मेँ 15,000 सुक्ष्म छिद्र होते है जो सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा आसानी से देखे जाते हैँ उनके द्वारा DDT का विष अंडोँ द्वारा मनुष्य के शरीर मेँ पहुच जाता है जिससे कैँसर के रोग होने का खतरा रहता है । हाल मेँ इंगलैँड के डाक्टरोँ ने सावधान किया कि सालमोनेला एन्टराईटिस , जिसका सिधा संबंध अंडोँ से है , के कारण लाखोँ लोग इंगलैँड मेँ एक जहरीली महामारी के शिकार हो गये । भारत मेँ ऐसा कोई कानुन लागु नही लागु है जिससे सड़े गले अंडे की पहचान करके उससे होनेवाले रोगोँ से बचाब हो सके । यही नही , डॉ. ई.वी. मेवकालम का कहना है कि अंडोँ मेँ कार्बोहाइड्रेट बिल्कुल नही होते तथा कैल्सियम की मात्रा न्यूनतम होती है जिससे पेट मेँ सड़ांध हो जाती है ।

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