आज दुनियाँ के 90% लोग को आध्यात्मिक ज्ञान नहीँ है । चाहे पढ़ने मेँ तेज , पडिँत , अफसर , किरानी , प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति ही क्योँ न हो ।
जीवन आध्यात्मिक को प्राप्ति हेतु प्रदान किया गया हैँ बलात्कार , रेप , राजनीति , कलह , हत्या आदि गलत कार्य के लिए नहीँ ।
अत: ये तथा माँसाहार छोड़े तथा शाकाहार तथा सत्य विचार अपनाये ।
अध्यात्मिक ज्ञान असंसारिक हो ।
हम बताने जा रहे हैँ यथार्थ ज्ञान का प्रकाश मेँ देवताओँ को पुजन अंजान करते है
आपलोग सिर्फ पुजा करते है परंतु जानते नही कि मैँ किनको को पुजा कर रहे है ।
क्या आप धर्मशास्त्र पढ़ते हो ?
त्रिगुण माया जो रजोगुण ब्रह्मा , सतगुण विष्णुजी तथा तमगुण शिवजी की पूजा तक सीमित हैँ तथा इन्हीँ से प्राप्त क्षणिक सुख के द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है ऐसे असुर स्वभाव को धारण किये हुए नीच व्यक्ति दुष्कर्म करने वाले मुर्ख मुझे नहीँ भजते । वे अपने स्वभाव वश प्रेरित होकर अज्ञान अंधकार वाले नियम के आश्रित अन्य देवताओँ को पूजते हैँ । जो जो भक्त जिस जिस देवता को स्वरूप को श्रद्वा से पूजना चाहता है उस-उस भक्त की श्रद्वा को मैँ उसी देवता के प्रति स्थिर करता हुँ ।
जिस श्रद्वा से युक्त होकर जिस देवता का पूजन करता है क्योँकि उस देवता से मेरे द्वारा ही विधान किये हुए कुछ इच्छित भोगोँ को प्राप्त करते हैँ । जैसे मुख्य मंत्री कहे कि नीचे के अधिकारी मेरे ही नौकर हैँ । मैँने उनको कुछ अधिकार दे रखे हैँ जो आश्रित है वह लाभ मेरे द्वारा दिया जाता पर पूर्ण लाभ नहीँ है । मंदबुद्वि वालोँ जो ब्रह्मा , विष्णु तथा महेशा आदि को पूजने वाले को फल नाशवान होता है अर्थात् क्षणिक ।
जो वेदोँ , गीता आदि धर्मग्रंथोँ के अनुसार भी भक्ति करते है उसे भी मुझे प्राप्त होते अर्थात काल के जाल मेँ रहता मोक्ष प्राप्त नहीँ होता ।
विशेष :
जो भी कोई पिता , भूत , देवी-देवता , महावीर , मानवदेवता , भगत या भक्तिनी , पितल , ठाकुर , आदि को पूजा स्वभाव वश करते हैँ । मैँ (मन) काल उन मंद बुद्वि लोगोँ को उस देवता के प्रति आसक्त करता हुँ । वे नादान भक्त जो देवताओँ या असुरोँ से लाभ पाते है मैँ काल देवताओँ को कुछ शक्ति दे रखी है । अगर ये लोग शुभ कर्म किये तो इनकी अच्छे योनियोँ मेँ जन्म हो फिर भी मुक्ति नहीँ ।
पाँचवा वेद के बारे मेँ कोई को जानकारी है ?
पाँचवा वेद से मुक्ति संभव है ।
इसके अंतर्गत कबीर साहेब के बीजक , कबीर मंसुर , कबीर दोहावली , कहत कबीर , अनुरागसागर तथा गुरुमहात्मय है ।
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