ब्रह्म का साधक ब्रह्म को तथा पूर्ण ब्रह्म का साधक पूर्ण ब्रह्म को प्राप्त होते हैँ (also receipt of purnbraham of Perfective of purnbrahama and receipt brahama of Perfective of brahama.)
आप जानते कि ब्रह्म कौन है ? तथा पूर्ण ब्रह्म कौन है ?
ब्रह्म :
परम पिता परमेश्वर का संतान जो 70 युग तक तीन बार समाधि लगाकर बहुत कुछ माँगा अंत मेँ हमलोगोँ को भी अपने लोक मेँ ले गया और अपने भगवान बन गया ।
जिसे काल ,समय ,क्षर पुरुष , निरंजन आदि नाम हैं ।
हमलोग इसके बंधन मेँ हैँ ।
इसके बंधन योन , क्रोध , लोभ , मोह , जलन , ईर्ष्या आदि है ।
पूर्ण ब्रह्म :
काल के पिता जो हमको काल से मुक्ति हेतु मृत्यु लोक मेँ आते ।
इनको परम पिता परमेश्वर , कबीर साहेब , सतपुरुष, आदि जो रक्षा करते ।
ब्रह्म की साधना ॐ नाम का उच्चारण का जाप बताया है ।
इसे जीव को आवा-गमन होता रहेगा यानी ब्रह्म को साधने से ब्रह्म को प्राप्त होगेँ 84 लाख योनियोँ मेँ कर्म अनुसार पायेँगे ।
पूर्ण ब्रह्म को मंत्र ॐ जाप नहीँ हैं । तथा इसे जापने हेतु सख्त मना है । क्योँकि आप पूर्ण ब्रह्म का शिष्य को क्षर पुरुष के मंत्र या किसी वस्तु पर आशक्त नहीँ होना चाहिये ।
पूर्ण ब्रह्म का मंत्र विशेष है जो किसी कबीर समुदाय मेँ ही मिल सकता ।
इसे दीक्षा कहते हैँ ।
तो बात साफ है जो जिनको पूजेँगे उनको प्राप्त होँगे ।
इसलिए हमलोग सोच-समझकर अच्छे आस्था रखनी चाहिए ।